Last modified on 18 सितम्बर 2017, at 05:24

भोर / मनीष कुमार गुंज

Rahul Shivay (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 05:24, 18 सितम्बर 2017 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

पहिलॉे पहली कामोॅ मेॅ सुरसूरी लागथौंन
आपने से नै करभो ते मजदूरी लोगथौंन।

दुनियाँ मेॅ सुन्दर से सुन्दर दुनियाँ छै
जे भीतर मेॅ वास करै उ नूरी लोगथौंन।

छोटॉे साधन मेॅ छोटोॅ परिवार बनाबोॅ
दर्जन भर बढ़थौन ते कत्ते कूरी लोगथौंन।

मौका छै मजगूत करॉे आपनॉे हाँथो कॅेे
तनठो गलती पेट-पीठ पर छूरी लागथौंन।

औवल बोली चीनी-शक्कर सॅे भी मीट्ठो
उटपुटंगा बात कभी मजबूरी लागथौंन।

स्वार्थ लोभ परिवार बाद ओझराबै बाला
जे जतना भीरी मेॅ ओतने दूरी लागथौंन।