Last modified on 18 सितम्बर 2017, at 05:26

सावन के भरोसा / मनीष कुमार गुंज

Rahul Shivay (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 05:26, 18 सितम्बर 2017 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

आबो सावन झटकी के
बादल बरसो लटकी के

तबलै जेठ ते फाटै धरती
तीन कोस तक खेती परती
चापाकल कुइयां के पूछै
पोखर सुखलै सटकी के।

पानी लेली अधमरूओ छै
खीरा ककरी सब करूओ छै
चिड़ियाँ चुनमुन के साथें सब
बच्चा-रहलै रटकी के।

गरमी गुम्मस नींन उड़ाबै
मच्छड़ भन-भन खूब कुढाबै
मच्छड़दानी में घुंसी के
काटै हपकी हपकी के।

पड़लै झरिया भरलै खेत
नदी-नदी में खल-खल रेत
दौड़ी-दौड़ी खूब नहाबो
भरो खेंघारी मटकी के।