Last modified on 16 अक्टूबर 2017, at 19:51

दुःख / विल्हेम इकेलुन्द

Anupama Pathak (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 19:51, 16 अक्टूबर 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= विल्हेम इकेलुन्द |संग्रह= }} <Poem> कि...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

किनारों पर उजाड़ पहाड़ियां
उदास रात को कर देती हैं और काला,
धूसर और घटाटोप सांझ से
निकलता है एक कालीन चमकीले रंगों वाला.

एक रूदन, एक मौन सिसकी,
जैसे स्पंदन हो समंदर में -
बहुत थके हुए और लड़खड़ाते हुए है गिरता
वह चुपचाप अपनी कब्र में.

(मूल स्वीडिश से अनुवाद : अनुपमा पाठक)