Last modified on 17 अक्टूबर 2017, at 14:17

मुखौटे / टोमास ट्रान्सटोमर

Anupama Pathak (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:17, 17 अक्टूबर 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=टोमास ट्रान्सटोमर |संग्रह= }} <Poem> १....' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

१.

रास्ते के छोर पर दिख रही है मुझे सत्ता
और है वह एक प्याज़ की तरह
अधिव्याप्त चेहरे के साथ
जो खुलता है एक के बाद एक ...

२.

थियेटर हो गए हैं खाली. मध्यरात्रि है.
अक्षर अंगारों की लपटों में जल रहे हैं मुखौटों पर.
उस अनुत्तरित पत्र की पहेली
सर्द चमक के माध्यम से रही है डूब.


(मूल स्वीडिश से अनुवाद : अनुपमा पाठक)