Last modified on 22 अक्टूबर 2017, at 23:25

सूरज हमारा होगा / ब्रजमोहन

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:25, 22 अक्टूबर 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=ब्रजमोहन |संग्रह=दुख जोड़ेंगे हम...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

न कोई भूखा होगा न बेसहारा होगा
जीवन ही जीवन को जीने का सहारा होगा
इक-दूसरे का जीवन जीवन से प्यारा होगा
कल होगी सुबह अपनी सूरज हमारा होगा ...

तिल-तिलकर मरना ये घुट-घुटकर जीना ये
कल रंग लाएगा अपना पसीना ये
घर सीखचों के ये बरबाद होंगे
कल होगी अपनी हम आज़ाद होंगे
दुनिया हमारी सारी जग ये हमारा होगा ...

टूटेंगे पिंजरे सब पँछी उड़ जाएँगे
धरती पे अम्बर को छू-छू के आएँगे
घर-गाँव-शहरों में मुस्काएगा जीवन
फूलों की तरह से खिल जाएगा जीवन
दुनिया का वो सबसे सुन्दर नज़ारा होगा ...

चेहरों पे मायूसी और न थकन होगी
मन में जो ख़ुशबू है वो ही चमन होगी
न अन्धे रास्तों पे अन्धा सफ़र होगा
जीवन की राहों में तेरा भी घर होगा
सुबह की आँखों में लाल सितारा होगा ...