Last modified on 2 नवम्बर 2017, at 17:43

मेघराज / बिंदु कुमारी

Rahul Shivay (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:43, 2 नवम्बर 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=बिंदु कुमारी |अनुवादक= |संग्रह= }}{{KKC...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

घिरी-घिरी आबै छय पहाड़ सेॅ
मेघराज हवा पेॅ सवार रे।
टप-टप पत्ता पानी चुबै छै
जेना महुआ मस्तानी रे।
पोखरी मेॅ पुरैनी पत्ता पर
मालुम पड़ै उजरोॅ-उजरोॅ मोती दाना रे।
कमलोॅ रोॅ पंखुरी के रस चुसी
कारोॅ-कारोॅ भौरा उड़ि जाय रे।
घिरी-घिरी आबै घटा पहाड़ सेॅ
मेघराज हवा पेॅ सवार रे।
हर-हर, हरहर नाला बही छै
नद्दी चलै मनमानी रे।
बापोॅ के घोॅन जेना बुड़ाबै
बेटा कपूत नदानी रे।
सनसन सनसन पछिया चलै छै
बरसै छै हथिया-कानी रे।
जारन जरबा इन्तजाम मेॅ जुटलोॅ
भौंजी हमरी कुलवंती रे।
करै रोपनी धनों के भैया
कनिया सुघर सयानी रे।
झट-झट, झर-झर धान रोपै छै
गावी गीत सुहानी रे।
गमछा लपेटी मांथा मुरेठा
कान्हा पेॅ होॅर लेकेॅ चले किसान रे।
बैलोॅ रोॅ जोड़ी हाँकी निकलै
अन्न रोॅ दाता भाग्य विधाता रे।
घिरी-घिरी आवै घटा पहाड़ सेॅ
मेघराज हवा पेॅ सवार रे।