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पहली फुहार / राजीव रंजन

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सूखे तन-मन को हरा-भरा करती
आयी बारिश की पहली फुहार।
फिजाओं में फिर गुँजा जीवन-राग
हवाएँ भी गाने लगी राग-मल्हार।
बादल और धरती ने गढ़ी संबंधों
की नयी परिभाशा
सूखे प्यार में लौटी फिर से बहार।