बरस रहा आज झमाझम
देखो कैसे बादल।
हर्शित धरती की आज बज रही
देखों कैसे पायल।
उम्मीदों के अद्धन में
कैसे पक रहा
खुशियों का चावल।
लेकिन फरेबी हवाओं से
आज भी सपने हो रहे
कैसे घायल।
बरस रहा आज झमाझम
देखो कैसे बादल।
हर्शित धरती की आज बज रही
देखों कैसे पायल।
उम्मीदों के अद्धन में
कैसे पक रहा
खुशियों का चावल।
लेकिन फरेबी हवाओं से
आज भी सपने हो रहे
कैसे घायल।