’लव मार्केट’
और ‘लव गुरु’ की दुनिया के बाहर
प्रेम न तो बिक रहा है
न डर रहा है
कभी-कभी लगता ज़रूर है
जैसे बाज़ार सर्वशक्तिमान है
पर उसके तो घुटने
धसक जाते हैं
बार-बार
इन प्रेमियों को देख कर
यह लगता है
न जाति सर्वशक्तिमान है
न बेईमानी
बार-बार इन पर फतवे जारी किए जाते हैं
इनके कुचले गए शरीर
मिलते हैं जहाँ-तहाँ
फाँसी के फन्दे सलफ़ास
हत्या के कितने ही तरीक़े
इन पर आज़माए जाते हैं
पर ये हर दिन
मर्ज़ी से प्रेम करने का
रास्ता लेते हैं
लगता है यहीं हमेशा
रहने वाले हैं।