Last modified on 11 नवम्बर 2017, at 02:04

लाडले / शुभा

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 02:04, 11 नवम्बर 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=शुभा |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} <poem> ''...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

एक
कुछ भी कहिए इन्हें
दूल्हा भाई
या नौशा मियाँ
मर चुके पिता की साईकिल पर दफ़्तर जाते हैं

आज बैठे हैं
घोड़ी पर नोटों की माला पहने
कोशिश कर रहे हैं
सेनानायक की तरह दिखने की।

दो

18 साल की उम्र में इन्हें अधिकार मिला
वोट डालने का
24 साल की उम्र में पाई है नौकरी
ऊपर की अमदनी वाली
अब माँ के आँचल से झाँक-झाँक कर
देख रहे हैं अपनी सम्भावित वधू
चाय और मिठाई के बीच।