Last modified on 26 नवम्बर 2017, at 02:35

श्वेत पत्थर पर / रुस्तम

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 02:35, 26 नवम्बर 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रुस्तम |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} <poe...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

‘श्वेत पत्थर पर
काला पत्थर’ के इस बिम्ब में
जो मैंने अभी-अभी पढ़ा है
या काले पत्थर पर
श्वेत पत्थर के उस बिम्ब में
जो मैंने अभी-अभी गढ़ा है

‘हज़ार मौत मरता है’

उजाला जो इसके जीवन को पकड़ता है
या हाथ जो इस उजाले को स्थिर रखता है