कभी भाला लेकर नहीं चला मैं, न ही कभी 
काटा कोई सर,
गर्मियों और सर्दियों में 
मैं गौरैया की तरह चला जाता हूँ उड़कर 
भूख की नदी की ओर, पानी से बनी इसकी जादुई सरहदों की ओर । 
मेरी हुक़ूमत बनाती है पानी का रूप । 
मैं राज करता हूँ गैरहाज़िरी पर । 
राज करता हूँ ताज्जुब और तकलीफ़ में, 
साफ़ मौसम और तूफ़ानों में । 
कोई फ़र्क नहीं पड़ता मैं नज़दीक आऊँ या दूर चला जाऊँ । 
मेरी हुकूमत है रोशनी में 
और धरती है मेरे घर का दरवाज़ा । 
अँग्रेज़ी से अनुवाद : मनोज पटेल