बचपन लुप्त सा धूमिल हो रहा है
बड़ी देर तक शांत पड़ी रही मैं
श्वेत ताबूत से पत्तों की मीठी खुशबू आ रही है
मिठास की सुगंध से संतृप्त
बचपन लुप्त सा अँधेरे में ओझल हो रहा है
घड़ियाँ चट्टान के रूप में ढल रही हैं
घड़ियाँ जिन्हें आपको वैसे भी त्यागना ही है
गाल के खुले क्षिद्रों से प्यारी खुशबू आ रही है
मूल स्वीडिश से अनूदित