अये वेदने
तुम देय हो
तेरे कारण ही पाया
धरती का प्यार
तुझसे ही होता
मानव में विस्तार
अये वेदने
मै ऋणी हूं तुम्हारा
मेरी ह्रदय वाटिका में
तुुम्हारा वास
कितना उपकार
तुम प्रेरणा पूज
मेरे सृजन चिंतन
अरू अभिव्यक्ति की
तुम्हारा अहसास
मुझे पूर्णता देता
स्मृतियों से उबारकर
मुझे में निरन्तरता
भरने वाली
तुम प्रसाद हो जीवन का
तुम प्रसाद।