1 कभी पसारो बाँहे नभ -सी तुम मुझे भर लो आलिंगन में प्रिय ! अवसाद हर लो। 2 उगता रवि धरा का माथा चूमे खग-संगीत मिले ज्यों मनमीत दिग्-दिगन्त झूमे।