कुछ शब्द
जैसे प्यार
करुणा
क्षमा
शब्द नहीं
हैं मन्त्र
मन्त्र नहीं
हैं ऋचाएँ
जिन्हें आँखें बोलती हैं
वाणी प्राण को छूती
ये शब्द
पेड़ की छाया
थके-हारे की शरण ।
कुछ शब्द
जैसे प्यार
करुणा
क्षमा
शब्द नहीं
हैं मन्त्र
मन्त्र नहीं
हैं ऋचाएँ
जिन्हें आँखें बोलती हैं
वाणी प्राण को छूती
ये शब्द
पेड़ की छाया
थके-हारे की शरण ।