नई सुबह लेकर आया है
नूतन वर्ष
प्रथम प्यार की प्रथम छुवन
की पुलक लिए
जूही, चम्पा, गेंदा सबकी
महक लिए
विगत वर्ष की ठिठुरन से
जीता संघर्ष
मन-मन में लेकर मिठास
अपनेपन की
दूध भरी गेहूँ-बाली के
यौवन की
कथा बाँचता है जीवन का
नव उत्कर्ष
बदल गई है ज्यों
मुस्कानों की भाषा
आँख-आँख में तैर रही
नूतन आशा
त्याग उदासी के चोले को
पहने हर्ष
रचनाकाल-01 जनवरी 2018