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नूतन वर्ष / राहुल शिवाय

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नई सुबह लेकर आया है
नूतन वर्ष

प्रथम प्यार की प्रथम छुवन
की पुलक लिए
जूही, चम्पा, गेंदा सबकी
महक लिए
विगत वर्ष की ठिठुरन से
जीता संघर्ष

मन-मन में लेकर मिठास
अपनेपन की
दूध भरी गेहूँ-बाली के
यौवन की
कथा बाँचता है जीवन का
नव उत्कर्ष

बदल गई है ज्यों
मुस्कानों की भाषा
आँख-आँख में तैर रही
नूतन आशा
त्याग उदासी के चोले को
पहने हर्ष

रचनाकाल-01 जनवरी 2018