Last modified on 24 फ़रवरी 2018, at 21:06

भ्रम / उषारानी राव

Rahul Shivay (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:06, 24 फ़रवरी 2018 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=उषारानी राव |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCat...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

सनसनाहट की आवाज़
के साथ
रोशनी बढ़ती गई
पंचलाइट की रेशमी थैली में !
और सामने आती गई
अंधेरे की अस्मिता !
अनबूझे आयाम
अज्ञान के
अंधविश्वास के
जात-पात के
वर्ग- बोध के
बत्ती के पास उड़ता कीड़ा
उसके साथ सटकर
झुलस गया था !
कहीं बद्धमौन था
कहीं अवसाद भी !
पीढ़ियों एवं समय के
बीच घटित संघर्ष
प्रकाश के घेरे में चुप!
सवाल किया मेरे अंतस ने !
आदमी की शक्ति या कमज़ोरी मानें इसे ?
भ्रम की सृष्टि कर रहें वो
जो बचा के दामन निकल
रहें हैं
तेज़ बिकने वाला एक सौदा है
भ्रम !