सूरज उगा
डूबा
दिन चढ़ा
उतरा
बचपन आया जवानी गई
घर की बड़ी लड़की ने
सूरज उगने से पहले
घर का रेशा-रेशा चमकाया
कोना-कोना महकाया
ठण्ड में तपिश पैदा की
गर्मी में घनेरी छाया
शाम ढलने से पहले घर को
फिर से सजाया-जगाया
घर को अनिष्ट से बचाने के लिए
जाने क्या-क्या जतन किए
और ख़ुद
हर बार डूब गई
डूबते सूरज के साथ
उगते और डूबते सूरज की
लालिमा को
एक बार देखने की लालसा में
हर बार डूबी है
घर की बड़ी लड़की।
एक-एक दाना उजाला
जब से चिड़िया रह गई है
एकदम अकेली
उड़ती ही रहती है
नीले आकाश में
कभी बादलों में
तो कभी
कड़कती बिजली से बचती
तेज़ मूसलाधार बारिश में
भीगती
फिर भी मुस्तैद
पँख नहीं रुकते उसके
जाने कौन-कौन सी दिशा से
इकट्ठा करती रहती है
एक-एक दाना
उजाला, ख़ुशबू, चमक
वो वर्ड्सवर्थ की स्काइलार्क है
जिसकी आँखों में बसा है
उसका घोंसला
हर बार डालते हुए दाना
चोंच से
अपने बच्चों को सुरक्षित देख
चैन की साँस भरती है
चिड़िया बहुत डरती है
बहेलियों से, आँधी से।