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पेटेंट / ओम बधानी

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ऊंन चैंळ अर मांड
करैल्या पेटेंट
भोळ हमारी डाळि बुर्दि जड़ि बुटि
पर्छेंक हमारी बोलि भासा
हमारी संस्कृति
नितरसेंक कैं सि
हमुतैं न करद्यौंन
पेटेंट ।