मनखि रे तेरा मन की
नि जाणि कैन, नि पछाणि कैन
खिल-खिल हैंसदा मुखड़ा ,पित्त पक्यां जिकुड़ा
आस विस्वास कि डाळि, सुकाई त्वैन छपकाई त्वैन
मनखि रे तेरा मन की
नि जाणि कैन, नि पछाणि कैन
अपड़ा दुख म दुखि हो न हो,हैंका क सुख देखि असुखि मन
जैन हंसाई तु , उ रूवाई त्वैन पिताई त्वैन
मनखि रे तेरा मन की
नि जाणि कैन , नि पछाणि कैन
स्वारथ लालच क बथौं म उड़िगे नातु,गैलु, भै-भयात
धन माया भगवान, बणाई त्वैन चिताई त्वैन
मनखि रे तेरा मन की
नि जाणि कैन, नि पछाणि कैन।