यखुली रैगिन गाणि - स्याणि बूड बुड्या लाचार
गौं से इत्गा इ रिश्ता रै गे छंचर अर ऐतवार।
मयाळदु ऐ छौ शहर जनै मंख्यात का संग
चार दिनों का मेल मा रंगगे शहर का रंग।
सिकासौर्यून फौंस्यूंमा उलटा ह्व़ेगेनि काम
भाषा बूड़ी दादी सि कूणा मा ह्यराम।
गबदू दादा सोचणु च होणु छ तैयार
परधानी को मौक़ा मिलु ह्वेजा नया पार।