वो जो मर मर के जिया करते हैं
दर्द के घूँट पिया करते हैं
जब भी गुजरे हैं तेरी गलियों से
नाम तेरा ही लिया करते हैं
हाथ में याद की सुई ले कर
दामने - हिज्र सिया करते हैं
ख़्वाब आँखों मे सजाये रखते
नींद बेशक न लिया करते हैं
याद रखते न बेरुखी अपनी
हो के बेचैन जिया करते हैं
खेलते रहते हैं जज़्बातों से
इश्क़ बदनाम किया करते हैं
सिर झुकाते हैं जिनके कदमों में
वो ही इल्ज़ाम दिया करते हैं