गढवाळी संस्था
ज्ल्मी त भौत छै
पर कैन बि पूरी मन्था नि खै
कुछ कैन पणसैन , कुछ कैन उगटेन
तन्नी कुछ .. अफ़ी हरची गैन
हुणत्यळी छै , गुणत्यळी छै मयळी छै
पर ..उंकी पुछ्ड़ी फ्न्कुड़ी निम्खणि छै
हाँ .. ऊंका नियम बड़ा कठोर छा
धारणा ध्येय बी विशाल छा
जो रजिसटरूंम ल्यख्यां छा
बाँधी बून्धी बस्तौं मा धरयां छा
पैलि पैलि ऊंसे सबकू लगाव छौ
नौन्याळ समजी खुखली खिलाणो चाव छौ
तब गढ़वालै तरक्की सवाल छौ
इस्कोल , अस्पतालौ ख़याल छौ
अपणि भाषा किलै नि ब्वना
यांको मलाल छौ
अब......
नौनि ब्यवाणा हांळ चा
नौने नौकरी समस्या चा
कोठी बणाणे लिप्स्या चा
जिन्दगी भर कं रै ग्याँ पाडि पाड़
यांको मलाल चा
हाँ कै बगत
एकाद सांस्कृतिक प्रोग्राम कै
खुद बिसराणे /ब्यळमाणो ख्याल च
झणि कत्गौंल अपणये छै
फेर झणी किलै छोड़ बि दे छे
ऊन कैसे मोह नि तोड़ी छौ
कैकु दीद बि नि तोड़ी छौ
पण सुदी सुदी अपणे आपस म
द त्वी समाळी ल्हें रै तैंते
न त्वी भटगे ल्हें
बडो ऐ संस्थौ वालु .. ल्हें समाळ
जा जा त्वी घटगे ल़े
जबान समाळी बोल
जीब रूंगड़ दूंगा नथर
अरे चल बे चल
बड़ा आया गवरनल का बच्चा
द.....
स्यूं कि त ह्व़े गे पछिन्डी
बणया भाजी ग्या कठुग कोच्ची ग्या
हे भै ....
क्य ह्वालू यीं को
फुकीण दे मोरी जाण बलें
कैरू त क्या कैरू
इनि इनि कै
कुजणि कब बटें अब तैं
उपजदी गेन
हरचदि गेन
गढ़वळी संस्था।