जौं परैं फंकुडु नि ऐेंन
वो जख्या तक्खी रैगैन
जौं परैं फंकुडु ऐेंन
वो फुर्र उड़ि गैन।
लेखी पैढि कि
जो परदेस चलि गैन
गौं का वो मनखी
परदेसी भैजी ह्वे गैन।
बगण लग्यां छन दिन .रात
पाणी सि म्यरा मुल्का मनखी
गौं म रैणा की
कैन बि जुगत नि जुटै।
कामए काजए रूप्या नाज
ह्वे ता सकदु गौं म आजए
यीं धरती म रैणा को
जब हो मन्ख्यों को मिज़ाज।
औखद इलाजए दवै .दारु
पढ़ै लिखै को होंदु सारु
कन नि रुक्दा गौं म मनखी
किलै बजेंन्द गौं. गुठ्यार
नेता सियांए जन्ता लाचार
ड्यारादूण.नैनीताल उंदंकार
बाकि पाड़ जन्या तन्नि
समस्याओं को कु कार इलाज।
मनखि सोचा जरा विचारा
गौं भी उद्धार कारा
ठंडो पाणीए ठंडी हवा
खेती पाती समाल कारा।
रुका गौं मए भजणा किलै
अल्का.जळक्यां ह्ययना क्या छा
जरसी कुछ जतन त कारा
बगदी नि जाए गौं म रावा।