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ह्यूंद / बीना बेंजवाल

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ऊँची हिंवाळयूँ बिटि
उड़ीक यूं घाम को पंछी
ह्यूं का टोप्या बुग्यालुं सणि
मलासद अजब पणा पंख्युड़ो न
ह्यूं की ट्व्पल़ी सरकी
खित्त हैन्सी जांद तब
कुखड़ी क्वी फूल।

स्वां स्वां करदा बौण मां
आन्द जब औडळ
झिट घड़ी तैं लुकैक
डालोँ कि हैरी चदरी
बांज-बुरांस का डालोँ सणि
पैरे दींद
बुरांस का कूटमुणोऊ वळी
सुकली चदरी।
 
फसल कटीं सायों मा
हिसर -किल्मोड़ का बोटों पर
बच्यीं रै जान्दीन जब
घासी क्वी का डाळी
गाड गदन्यों का छ्वाड़ों
ब्ज्दन तब
दाथुड़ी छुणक्यळी।