Last modified on 30 मार्च 2018, at 11:24

सुकूँ दिल को न दे पाये / रंजना वर्मा

Rahul Shivay (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:24, 30 मार्च 2018 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रंजना वर्मा |अनुवादक= |संग्रह=प्य...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

सुकूँ दिल को न दे पाये कभी घर हो नहीं सकता
हमेशा दर्द दे दिल को वो दिलवर हो नहीं सकता

तसल्ली दे नहीं ग़म में न दिल का जख़्म पहचाने
मुहाफ़िज़ हो न राहों में वो रहबर हो नहीं सकता

उड़े ऊंचाइयों पर आसमानों की भले लेकिन
कभी इंसां कोई रब के बराबर हो नहीं सकता

न हो दुख दर्द से वाकिफ़ हमेशा ही खुशी पाये
किसी इंसान का ऐसा मुकद्दर हो नहीं सकता

करोड़ों की सँभाले आस्था रहता जो मंदिर में
सभी का इष्ट है भगवान पत्थर हो नहीं सकता

नहीं कुछ पास है रखता उगल देता है साहिल पर
उफ़न जाये जो नदियों से समन्दर हो नहीं सकता

ज़माने को भरे मुट्ठी में कोई चाहता लेकिन
मुकद्दर का कोई ऐसा सिकन्दर हो नहीं सकता