Last modified on 1 अप्रैल 2018, at 10:56

चिंत्या / दुष्यन्त जोशी

आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 10:56, 1 अप्रैल 2018 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=दुष्यन्त जोशी |अनुवादक= |संग्रह=...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

थूं
आखै जग री
चिंत्या छोड
नां समझ
खुद नै बाप

थूं
खुद सुधर

समाज
सुधर ज्यासी
आपीआप।