Last modified on 1 अप्रैल 2018, at 13:05

अेकाकार / मीठेश निर्मोही

आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:05, 1 अप्रैल 2018 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मीठेश निर्मोही |अनुवादक= |संग्र...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

म्हारै मुळकतै मन
उमड़ियौ गाढौ
हेत।

लागै
समदर री छौळां
म्हैं
बह आई

अर
मंडग्यौ
चंदरमा आळौ
रास
अेक
सांस।

अंतस सूं उमड़ियौ
सुरीलौ
संगीत
होठां आयौ
अर म्हैं
सरमाई
म्हारा हरियल
सपना
मिळ‘र
तन रै
डाळै-डाळै
चांदणी ज्यूं
उळझ्यां उपरांत
मांहौमांह
रगत
नै गरमांवता
आपरै ऊंडै अंतर
उतरग्या।