सिगड़ी अर चूल्हा
अणसिळग्या ई
रहया
पण धपळका उठता रहया
दादी रै काळजै
जद
रैय-रैय‘र
धूंवौ
गोटीज्यौ हौ
म्हारै
स्हैर।
सिगड़ी अर चूल्हा
अणसिळग्या ई
रहया
पण धपळका उठता रहया
दादी रै काळजै
जद
रैय-रैय‘र
धूंवौ
गोटीज्यौ हौ
म्हारै
स्हैर।