थे म्हनै सूंपणी चावौ
उजास ?
अर म्हैं आपरै आपांण
खमखरी खाय
बधणी चावूं धकै ई धकै
अैड़ा अथाग
अंधारा री सोय
जिकौ किणी
सूरज री झळ सूं
नीं विणसै!
थे म्हनै सूंपणी चावौ
उजास ?
अर म्हैं आपरै आपांण
खमखरी खाय
बधणी चावूं धकै ई धकै
अैड़ा अथाग
अंधारा री सोय
जिकौ किणी
सूरज री झळ सूं
नीं विणसै!