Last modified on 3 अप्रैल 2018, at 20:34

जीव / ॠतुप्रिया

आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:34, 3 अप्रैल 2018 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=ॠतुप्रिया |अनुवादक= |संग्रह=ठा’...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

मुसाणां में
दाग रै टैम
परम्परा मुजब
हेलौ मारै

बापूजी
तगड़ा हुज्याइयौ
आग आवै

इण उम्मीदां में
कै स्यात
आग रै डर स्यूं
बोल सकै

जे भीतर हुयसी
जीव।