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हावियर हिरॉद / परिचय

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हावियर हिरॉद का जन्म 19 फरवरी को मिराफ्लोरेस् (Miraflores) के शहर में हुआ था। वह छह भाइयों के बीच तीसरे थे। उन्होंने अपनी काव्य-शिक्षा लीमा के कैथलिक विश्वविद्यालय के साहित्य विभाग से आरंभ की, यहीं उन्हें अपने देश की बदहाली का ज्ञान हुआ. मानो उन्हें आने वाले वक्त का पूर्वाभास था।

उनकी रचना एल रियो ( El rio – नदी) सन् 1960 में क्वादर्नोस् दे हॉन्तनार (Cuadernos de Hontanar) में प्रकाशित हुई। इसके परिचय में अन्तोनियो महचादो (Antonio Machado) ने यह सूक्ति लिखी है :

जीवन एक विस्तृत नदी की तरह बहता है।

इसके बाद उनकी कविताओं का एक और संग्रह ’एल वियाहे’ (El viaje – एक यात्रा) के नाम से निकला।

सन् 1961 में कवि ने मेलिटन कार्वाहल (Meliton Carvajal) स्कूल में साहित्य के शिक्षक के रूप में कार्यारम्भ किया। उसी वर्ष वे ’छात्र और युवा विश्व महोत्सव’ में भाग लेने मॉस्को गए। महोत्सव खत्म होने के बाद वे पहले तत्कालीन सोवियत संघ में भ्रमण करते रहे, जिसके बाद वे अपने हमवतन सीजर वालेहो (Cesar Vallejo) की क़ब्र देखने पेरिस चले गए।

हिरॉद की किताब एस्तासियोन रियूनीदा (Estacion reunida – मौसम का पुनर्मिलन) सैन मार्कॉस् फेडेरेशन द्वारा आयोजित फ्लोरल गेम्स नामक प्रतियोगिता में विजयी रही। इसे दो भाग में प्रकाशित किया गया था – अलाबान्ज़ा दे लॉस दियास् आइ एस्तासियोन देस देसिकान्त (Alabanza de los dias y Estacion des desecanto – विरक्ति के दिवसों की प्रशंसा में) और एन एस्पेरा देल ओतोनो (En espera del otono – शरद का इन्तजार)। सन् 1962 में कवि को क्यूबा जाकर सिनेमा का अध्ययन करने के लिये अनुदान मिला.

मालूम होता है कि कैरेबियन द्वीप पर वक्त गुजारने के बाद वह, कवि लुई दे ला पुएन्ते उसेदा (Luis de La Puente Useda) के नेतृत्व वाली नेशनल लिबरेशन आर्मी में भर्ती हो गए और उन्होंने रॉद्रिगो महचादो (Rodrigo Machado) का छद्म नाम धारण कर ब्राजील के सीमावर्ती पेरू के जंगलों में लड़ाई लड़ी.

नग्न और निहत्थे कवि को सेना ने घेर लिया था. वह चिल्लाए थे, ‘‘गोली मत मारो!’’ हावियर हिरॉद की याचना का सैनिकों ने उत्तर दिया, ‘‘फायर!’’