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देवता / बृजेन्द्र कुमार नेगी

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दुःख, दर्द, रोग, बिमरी,
गरीबी कि पीड़ा म तिरयाँ
ब्वे-बाब
म्वन कु बाद पूज्य ह्वेगीं,
आण वलि पीढ़ी खुण
देवता बणगीं,
बच्यां माँ जौं थै
कभि कुछ नि द्या,
म्वना का बाद दीणा छीं
दुध-भत्ति, पूड़ी-पक्वड़ी,
छप्पन पक्वान,
मगणा छीं वूंमै अब
धन, दौलत, सुख, शांति
साल-कु-साल
जब अंदी 'सराद'।