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जो चाहते कुछ भी नहीं करते सतत उपकार हैं / रंजना वर्मा

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जो चाहते कुछ भी नहीं करते सतत उपकार हैं
अभिनन्दनीय सदैव वे भगवान के उपहार हैं

काँटों भरा संसार यह उनके लिये सुख भूमि है
पंजे लड़ाना मौत से जिन के सहज आचार हैं

यह जन्मभूमि सदैव ही अभिमान है जिनके लिये
ले रक्त होली खेलना ही मानते त्यौहार हैं

हो नित सुरक्षित देश की सीमा रहें आजाद हम
लहरा तिरंगा हो सदा ये हृदय के उद्गार हैं

हो नित्य ही सहयोग उनका हैं जरूरतमंद जो
ऐसे कि जो मजबूर दुखिया हैं विवश लाचार हैं

हैं आँधियाँ उठने लगीं तूफान से भी भीत हम
केवट नहीं है साथ कोई छूटती पतवार है

है कौन किसका साथ देता दिन मुसीबत के अगर
यदुनाथ ले बढ़ थाम यदि पतवार बेड़ा पार है