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रिश्ते की धूपछाँव / साहिल परमार

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तू एक बड़ा शहर है, जानम्
मैं छोटा सा गाँव
मर्सीडीज़ की तेज़ दौड़ तू
मैं हूँ बन्धे पाँव
देख रहा हूँ रिश्ते की धूप-छाँव।

मैं हूँ सस्ती महज ग़रीबी
तू है महँगी बड़ी क़रीबी
सागर जैसा दिल तेरा है
मैं छोटी सी नाव
देख रहा हूँ रिश्ते की धूप-छाँव।

भरे बदन पे शीतल चाँद का चमकीला तू रूप
तर पसीने से चेहरा हूँ मैं ज्यों बैसाखी धूप
नज़र मिलाते डर लागै कि
नज़र में तेरी पड़ जाएँ ना
मैल के गहरे घाव
देख रहा हूँ रिश्ते की धूप-छाँव।

मूल गुजराती से अनुवाद : स्वयं साहिल परमार