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धरती रा लाडेसर / मोहम्मद सद्दीक

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मैं
हूं तो हूं
रोई रो रूंख
हां मैं हूं
तीखी सूळां हाळो बंबळियो
मैं खारो टांस नीमड़ो
ओधड़ कुरूप खेजड़ो
इण धरती रो बीज
इण धरी रो जायो जलम्यो
पराई पड़तां चढ़ा‘र
भांड
बंरूपियो बण-बण
आपो बिसरणो
म्हारै मानखै सारू
मिनखरो मरणो है
कुदरत रो प्रेम पाविणयां नै
आसंग्गा
तक्कण री गरज कोनी
जरूरी कोनी सांग भरणो।
आ घणी लाम्बी चोड़ी धरती
ओ-घणो गैरो जंगल
ए-सोने बरणा धोरा
फर-फर करती
मन भावती ताजी हवा
ओ-खुलो आकास
अठै
हर मोसम रो मान
हर मोसम नै म्हारी मनवारां
म्हे धरती रा लाडेसर
आ-धरती म्हारी मां
ईं रा हरया भरया खेत
खेतां में काम करता करसा
बांरै मैनती सरीर स्यूं
टपकती पसीने री
मोती बरणी बूंदां
आं बूंदां स्यूं
सिंचीजती
गरबीजती धरती
जीवतै जीवण रो
सांची संजोरो
चितराम है।
इणीज धरती माथै
लुकमीचणी रमता
सुसिया
चौकड़ी भरता हिरणियां
ऊंटारा टोळां
गायां भैस्यां री गोर
तळावरी पाळ पर
नाचता मोरिया
‘‘तिस्सी हूं-तिस्सी हूं’’
टींटोड़ी री टैर
‘‘करसा तूं-करसा तूं’’
तीतर री भारणी
आसै-पासै
छिलरयां में
टर्राता डेडरिया
भातो ल्यावती भावजां
इसड़ी सरावण जोग जूण नै त्याग
कोठी बंगलां में ऊगणियै
रूंखारौ जीणो
सदाहीणो।
बांरै सागै होवती रूंगस
म्हांस्यूं छानी कोनी
माळी रा मैला हाथ
आं हाथां में कुज्जात कतरणी
कतरै
बुरछै
छांगै आं रूंखांनै
ए-रूंख आपरो आपो खोय
बिलखता-डरता
काया रो कुतराव देख
होयग्या
कुमाणसां भेळा कुमाणस
आंनै पाणी देवणियां फव्वारां में
मोसम री सागी मनवार कठै
कठै बै बातां जिक्की
सांवणियै रो लोर में
हवारै हिंडोळै
होळै-होळै
मुळकती-पळकती
गरजती-गाजती
तिरती-फिरती
आभै में काळीकाळी
रस री भरी बाद्ळयां में।
मानखो खोय
मिनखपणो राखणै री
कुचेष्टा करणियां रै
धड़ तो होय सकै
पण माथै री ठौड़ खाली है
आंरै हाथां री हथेळयां में
अर पगां री पगथळयां में
ऊगता दीसै घणा अणता बाळ।