Last modified on 14 जून 2018, at 16:05

मुक्तक-06 / रंजना वर्मा

Rahul Shivay (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:05, 14 जून 2018 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रंजना वर्मा |अनुवादक= |संग्रह=मुक...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

प्यार एहसास है रवानी है
सूर रसखान की जुबानी है।
प्यार है दास्तान राधा की
प्यार मीरा की जिन्दगानी है।।

साँवरे से जो प्रीत हो जाये
जिंदगी एक गीत हो जाये।
रूह का ईश से मिलन हो तो
ये नयी एक रीत हो जाये।।

मेरी भूल का आकलन हो गया
ह्रदय प्रेम का संकलन हो गया।
दिलों में जो थीं दूरियाँ मिट गयीं
कन्हैया से मन का मिलन हो गया।।

सारे एहसास बेख़बर रख दूँ
करके हर आह बेअसर रख दूँ।
फूल की ओस भरी पाँखों पर
प्यास के काँपते अधर रख दूँ।।

आत्मा से योग जो भगवान का कर दे
शून्य मन में जो उजाला शांति का भर दे।
देह से जो आत्म का संयोग करवाता
है वही योगी अमर आनन्द भास्वर दे।।