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मुक्तक-92 / रंजना वर्मा

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कृष्ण वर्ण श्रीकृष्ण कन्हैया सब के मन को प्यारा
जन्मा कारागार मध्य था जसुदा नन्द दुलारा।
श्याम सलोना रूप अलोना सब के मन को भाये
एक नजर के लिये श्याम की जीवन सारा हारा।।

शुक्ल वर्ण शुभ रंग राधिका कृष्णचन्द्र की प्यारी
चन्द्र चंद्रिका सदृश सलोनी श्री वृषभानुदुलारी।
पालन सृजन विलय की कारण राधा शक्ति स्वरूपा
श्याम सलोने यदुकुल नन्दन पर सकल कामना वारी।।

कौए ही पुरखों तक सब की श्रद्धा को पहुँचाते हैं
शेष वर्ष तो प्यार सभी का सारे पंछी पाते हैं।
करते हैं पंचायत कागा आपस मे मिल बैठ यहाँ
केवल पितृपक्ष में ही क्यों कौए पूजे जाते हैं।।

बिन अँधेरा दिया भी जलेगा नहीं
बिन दिये आपको कुछ मिलेगा नहीं।
कीच कह कर न इसकी उपेक्षा करो
साफ़ जल में कमल तो खिलेगा नहीं।।

आप ने यों भुला दिया मुझको
बेवज़ह ही रुला दिया मुझको।
मुझ को आयी न बेवफ़ाई पर
ये वफ़ा का सिला दिया मुझको।।