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चांदनी है / कुमार मुकुल

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चांदनी है और मेरी छाया मेरे पीछे चल रही है

आगे एक काली बिल्ली चली जा रही है

मेरा डर मेरे हृदय में समाता है

और मुँह से निकलती है सी... ई...

बिल्ली पहले दुबकती है

फिर उछाल मारती है

अपने-अपने झबरे को सू-सू कराने

निकली है गोरी छोरी

सफेद झबरा चांदनी के टुकड़े की तरह भागता है

उसे हवा लगती है बिल्ली की

और भूँकता है वह

भागती है बिल्ली

पर चांदनी को तो

भंभोड़ ही डालता है वह।