बिक रैया है
तन-मन-धरम
घटी दरां में
अश्वत्थामां थूं
अखी सिड़तो घाव
महाभारत रो
जद आंसूड़ा
अगन दांई झरै
कविता रचै
बिक रैया है
तन-मन-धरम
घटी दरां में
अश्वत्थामां थूं
अखी सिड़तो घाव
महाभारत रो
जद आंसूड़ा
अगन दांई झरै
कविता रचै