सागर मन
सै‘वै ताप-त्रास तो
बादळ-जन्में
हर तारे री
रोसणी नईं पौंचै
धरती ताईं
लोक-जीवण
मानखै रै मूल्यां रो
अखी खजानो
सागर मन
सै‘वै ताप-त्रास तो
बादळ-जन्में
हर तारे री
रोसणी नईं पौंचै
धरती ताईं
लोक-जीवण
मानखै रै मूल्यां रो
अखी खजानो