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हाइकु 59 / लक्ष्मीनारायण रंगा

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जीवणी-डावी
आंख, नीं राखो भेद,
बेटे-बेटी क्यूं?


चावै है लोग
बिन पांख हिलायां
आभो छूवणो


जिण भाठै नैं
मिल जावै तरास
मूरत बणै