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हाइकु 71 / लक्ष्मीनारायण रंगा

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अेक ई डाळ
पीळा‘र हरा पत्ता
ओ किसो न्याय?


मन साहस
मंजल चाल आवै
पगां रै पास


अस्त हुवतो
सूरज भी रंग दै
आखै आभै नैं