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हाइकु 105 / लक्ष्मीनारायण रंगा

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अेक कमरो
अेक ई छात पण
दो मन जुदा


मांय उमस
सै पड़दा हटाओ
दुरजा खोलो


आज रा राम
दे रै‘या बनवास
दसरथां नै