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हाइकु 107 / लक्ष्मीनारायण रंगा

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खेल खेलण
थूं आयो है मैदान
मन सूं खेल


बीज में रूंख
रूंख माय है बीज
सृस्टि रो चक्र


ज्ञानियां रो तो
सदीव रै‘यो घर
आखो संसार