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हाइकु 130 / लक्ष्मीनारायण रंगा

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आभो तो बस
भरम है मन रो
धरती पूज


माटी‘र बीज
जे दोनूं हुवै आछा
फसल आछी


समै तो हुवै
पून रै लैर‘कै ज्यूं
उठ‘र झाल