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हाइकु 151 / लक्ष्मीनारायण रंगा

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आज मिनख
न आंख न ई आन
न है जुबान


काळी कोटड़ी
जळतो नान्हो दियो
आज है साच


अे सोन थाळ
बरसै अठै मोती
ओळा रै रूप