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हाइकु 156 / लक्ष्मीनारायण रंगा

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पून नैं बस
मै‘सूस कर सकां
देख नीं सकां


आज साहित
पुरसीज रैयो है
फास्ट फूड ज्यूं


घर सूं बा‘रै
जद आई है नारी
छूयो है आभो